Considerations To Know About mahavidya baglamukhi

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बगळा हृदयस्तोत्र मिदं भक्ति समन्वितः । पठेद्यो बगळातस्य प्रसन्ना भक्तिदा भवेत् ।।

These energies are so intense that 1 should be nicely ready to take care of them by the use of ‘properly performed’ Vedic Rituals in the form of a Maa Baglamukhi Puja. This is certainly why it is very proposed that one Get hold of a learned priest to get the Puja ritual becoming done in his/her title.

Just one who propitiates Maa Baglamukhi because of the Baglamukhi Puja emerges victorious about all enemies whether they are in open up or intent to result in harm to someone whilst currently being hidden. 

ब्रह्मास्त्रं च प्रवक्ष्यामि खेद्य प्रत्यय कारणम् ।

ॐ क्रीङ्क्रीङ्क्रीन्नामधारिण्यै नमः।

जना ये जपंत्युग्र बीजं जगत्सु परं प्रत्यहं ते स्मरंतः स्वरूपं । भवेद् वादिनां वाञ्मुख स्तंभ आद्ये जयोजायते जल्पतामाशु तेषाम् ।।

इति बगलामुखी अथवा पीताम्बरी ध्यानम् ॥

नकिंचित् दुर्लभं तस्य दृश्यते जगती तले । शत्रवो ग्लानिमायांति तस्य दर्शनमात्रतः ।।

ऊँ ह्लीं बगलामुखीं ! जगद्वशंकरी! मां बगले! पीताम्बरे! प्रसीद प्रसीद मम सर्व मनोरथान् पूरय पूरय ह्लीं ऊँ

It truly is symbolic of her trait of being focused on her goal although waddling within the drinking water. She has the undisputed power to protect individuals who worship her by controlling their enemies from harming them in any method; thus turning failures into achievements and defeats get more info into victories.

अर्थात इस मन्त्र को सिद्ध करने के बाद मात्र इसके स्मरण से ही प्रचंड पवन भी स्थिर हो जाती है। इस मन्त्र की भारत के श्रेष्ठ और अद्वितीय तांत्रिकों ने भी एक स्वर से सराहना की है। आज के युग में जब पग-पग पर शत्रु हावी होने की चेष्टा करते हैं और हर प्रकार से चारों तरफ़ शत्रु नीचा दिखाने का प्रयत्न करते हैं तब उन्नति चाहने वाले व्यक्ति के लिए यह साधना या यह यन्त्र धारण करना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य समझना चाहिए। जो व्यक्ति अपने जीवन में बिना किसी बाधाओं के प्रगति चाहता है, प्रगति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचना चाहता है, उसके लिए बगलामुखी महाविद्या साधना या बगलामुखी यन्त्र धारण करना आवश्यक है।

Worshipping Baglamukhi has the powerful advantage of getting rid of the devotees’ hurdles and illusions and developing a clear street to prosperity in life.

हृदय वचनाकायैः कुर्वतां भक्तिपुंजं प्रकटित करुणार्द्रां प्रीणती जल्पतीति । धनमध बहुधान्यं पुत्र पौत्रादि वृद्धिं सकलमपि किमेभ्यो देयमेवं त्ववश्यम् ।।

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